महंगी खरीदारी करते समय काम आता है Hire Purchase Agreement, जानें बायर और सेलर के बीच कैसे होता है समझौता
एक Hire Purchase Agreement एक बायर और सेलर के बीच एक स्पेशल एग्रीमेंट होता है.
Hire Purchase Agreement में बेचे जा रहे एसेट आम तौर पर एक फिक्स एसेट होते हैं. साथ ही इसमें जो अमाउंट देना होता है, उसका एक बार में पेमेंट नहीं किया जाता है. इसमें समय-समय पर किस्तों में पेमेंट किया जाता है. ये एक फाइनेंशिल इंस्टिट्यूट नहीं है. इस तरह के अरेंजमेंट में, सेलर डायरेक्ट बायर को फाइनेंस देता है. इसके लिए सेलर को बायर को लोन देने के लिए इंटरेस्ट पर पैसा उधार लेना पड़ता है या फिर वो अपने पैसे पर इंटरेस्ट को छोड़ते हैं. इसलिए, हायर परचेज वेंडर बकाया अमाउंट पर इंटरेस्ट लगाते हैं. जिससे उनका लॅास कम्पनसेट किया जाता है. Hire Purchase Agreement स्पेशली यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और भारत जैसे कॅामनवैल्थ कंट्री में यूज की जाने वाली फाइनेंशियल सर्विस है. जब कोई इंसान लोन पर कार खरीदता है, तो कार का टाइटल तुरंत उनके नाम पर ट्रांसफर हो जाता है. अगर वही कार जब कोई इंसान Hire Purchase Agreement का यूज करके खरीदता है. तो ऐसे में कार का टाइटल तब तक नहीं बदलेगा जब तक कि पूरा कॅान्ट्रेक्ट खत्म नहीं हो जाता और उसका लास्ट पेमेंट नहीं हो जाता. Hire Purchase Agreement में हायर परचेज बायर, हायर बायर सेलर को पीरयॉडिक रेंटल का पेमेंट करता रहता है. इन पेमंट को एसेट के यूज के लिए पेमेंट किए गए रेंट के रूप में माना जाता है. ये पेमेंट एमॅार्टिजेशन शेड्यूल का रिजल्ट नहीं होता है.
कैसे करता है ये काम
डाउन पेमेंट
बायर हायर परचेज वेंडर को डाउन पेमेंट करके शुरू होता है. ये तब होता है जब एसेट का पजेशन चेंज होता है. माल बेचकर मिले रेव्न्यू के लिए डाउन पेमेंट रिकॅार्ड नहीं किया जाता है. इसके बजाय डाउन पेमेंट को रेंटल रेव्न्यू के रूप में रिकॅार्ड किया जाता है.
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इंस्टॅालमेंट
hire purchase buyer सेलर को मंथली पेमेंट करता रहता है. इस तरह के पेमेंट लोन के बैलेंस को कम करने वाले एमॅार्टिजेशन पेमेंट की जगह फिक्स एसेट का यूज करने के लिए पेमंट किए जा रहे रेंट को रिफ्लेक्ट करते हैं.
लॅास ओनरशिप
hire purchase agreement खातों पर कोई लोन लाएबिलिटी नहीं क्रिएट करता है. एक हायर परचेज बायर, सेलर को मंथली पेमेंट करना बंद नहीं कर सकता. अगर वे ऐसा करते हैं, तो सेलर सामान को वापस ले सकते हैं. जिससे पहले किए गए सभी पेमेंट बेकार हो जाएंगे. माल की ओनरशिप तभी बदलती है जब सभी किस्तों का पेमेंट सहमति के अनुसार किया जाता है. जब हायर परचेज बायर, एसेट को प्री-डिटरमाइंड नॅामिनल सम पर परचेज करता है तब ऐसे पेमेंट के आखिर में एक ऑप्शन एक्टिव हो जाता है. इसलिए Hire purchase buyer अपने ऑब्लिगेशन पर तब तक डिफॅाल्ट नहीं होता जब तक कि उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन न हो या तो वे बैंकरप्ट हो गए हैं या वे अब एसेट का वैल्यू नहीं रखते हैं.
डील का प्री-क्लोजर
जरूरी नहीं है कि हायर परचेज एग्रीमेंट पूरे पीरियड तक चले. हायर बायर परचेजर के पास डील क्लोज करने का ऑप्शन होता है. उन्हें बस सभी पेंडिंग इंस्टॅालमेंट का लम्प सम पेमेंट करना होता है. इससे नॅामिनल प्राइज पर एसेट खरीदने का ऑप्शन तुरंत एक्टिव हो जाता है. ऐसी किस्तों पर इंटरेस्ट माफ किया जा सकता है. इसके अलावा, हायर बायर सेलर लोन के अर्ली रिपेमेंट को इनकरेज करने के लिए एक रिबेट देता है.
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09:40 AM IST